*हर दान से बढ़कर है रक्तदान,नहीं इससे बढ़कर कोई कर्म महान*



*स्पेशल स्टोरी*


*दान* एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ होता है देना यानि की अपनी और परिवार की जरुरतों को पूर्ण करके बाद खाना,पानी, कपड़े समेत जो भी चीजें किसी जरुरतमंद के काम आ सकती हैं उनको खुशी-खुशी दे देना। हालांकि यह कोई अनिवार्यता नहीं है मगर एक समाज में रहकर हमें अपने साथ समाज के हित में सकारात्मक कार्य करने चाहिए,तभी एक खुशहाल, प्रगतिशील समाज का सपना साकार हो सकेगा।


*समय के साथ बदला है दान का महत्व*


 वर्तमान परिस्थितियों में भौतिक वस्तुओं के साथ रक्तदान, नेत्रदान और अंगदान का महत्व बहुत अधिक हो गया है।हर दिन लाखों-करोड़ों लोगों को किसी न किसी वजह से अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है जिनको खून की जरूरत पड़ती है लेकिन आवश्यकता के अनुपात में रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता, जिसके चलते अनगिनत लोग असमय ही जान गंवा बैठते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ स्वयंसेवी संगठन रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रचार प्रसार और जागरूकता अभियान चलाते लेकिन अब भी बहुतायत लोगों में रक्तदान को लेकर डर और भ्रांतियां फैली हुई हैं जिनको दूर किया जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए छोटे बच्चों की शुरुआती शिक्षा से ही रक्तदान के संबंध में अवेयरनेस से संबंधित सामग्री शामिल करनी होगी। क्यूंकि शिक्षा से ही बदलाव संभव है।


*अब नारीशक्ति भी पीछे नहीं*

।          *ब्लड डोनेट करती मीरा सिंह*

एक और बात जो कि बेहद जरूरी है कि महिलाओं में रक्तदान के प्रति जागरूकता लानी होगी।कहां यह जाता रहा कि भारतीय महिलाओं में खून की कमी सामान्य रुप से रहती है। हालांकि ये बातें मेडिकल साइंस के प्रगति करने से पहले की हैं पर अब भी इनका असर बाकी है। वर्तमान समय पर रक्तदाताओं में महिलाओं की संख्या अच्छी-खासी बढ़ गई है।अब महिलाएं बेझिझक होकर ब्लड डोनेट कर रही हैं। मेडिकल साइंस भी कहता है कि रक्त की कमी को बेहतर जीवनशैली, स्वस्थ खान-पान और व्यायाम से ठीक किया जा सकता है। 


*हजारों महिलाओं की सशक्त प्रतिनिधि बनी हुई मीरा सिंह*


इन्हीं जागरुक, बहादुर और बेबाक महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं मीरा सिंह,जो कि मध्यप्रदेश आबकारी विभाग में बतौर उपनिरीक्षक कार्यरत हैं और वर्तमान समय पर इंदौर में सेवाएं दे रही हैं।दो प्यारे बच्चों की मां होने के साथ परिवार और शासकीय सेवा की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए मीरा हरदम मानवता की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं।भोजन,पानी, कपड़े, शैक्षणिक सामग्री, दवाओं के यथाशक्ति आर्थिक मदद तो करती ही हैं, वर्तमान समय जिसे सबसे बड़े दान की संज्ञा दी जाती वो दान यानि कि रक्तदान करने में भी अब मीरा पीछे नहीं हैं। उन्होंने बड़ी हिम्मत दिखाते हुए इस पुण्य कार्य का भी शुभारंभ कर दिया है और जीवन-काल में पहली बार ब्लड डोनेट करने के जो दिन चुना वो दिन था भगवान राम के परमभक्त अंजनी सुत रुद्रावतार भगवान बजरंगबली का जन्मदिवस।इस दिन मीरा ने इंदौर के एमवाई हास्पिटल में रक्तदान कर अपना जीवन सार्थक किया और भविष्य में भी समय-समय पर रक्तदान करने का संकल्प लिया।इतना ही ब्लड डोनेट करने के बाद अपनी टीम के साथ अस्पताल के बाहर मरीजों और उनके परिजनों को खाने-पीने की चीजें भी प्रदान की। राष्ट्रपथ टाइम्स परिवार ऐसी नेकदिल और संवेदनशील इंसान को दिल से सलाम करता है और उनकी उन्नति-प्रगति के लिए ईश्वर से हमेशा प्राथना करता है।*

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