तमाम व्यस्तताओं के बीच वक्त मिल ही जाता है,अगर इच्छाशक्ति है मजबूत तो जीव सेवा के साधन उपलब्ध हैं हजार....इसी अवधारणा पर चलकर मीरा सिंह ने बाल्यकाल से ही अपने सामर्थ्य से भी आगे बढ़कर जरुरतमंदों की सेवा करने का जो सिलसिला शुरू किया था वो सेवा यात्रा आज भी निरंतर जारी है।
इंसानियत का फर्ज निभाने में कैसा संकोच
पारिवारिक, सामाजिक और शासकीय जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए मीरा बिना कोई शोर-शराबा किए जन-सेवा का संकल्प निभाती रहती हैं।हाल के दिनों मीरा ने इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंतराव होलकर गवर्नमेंट हॉस्पिटल में समय-समय पर जाकर मरीजों और उनके परिजनों के भोजन,पानी के साथ गर्म कपड़े, कंबल उपलब्ध कराने का भरसक प्रयास करती हैं।
आखिरी सांस तक संकल्प निभाने का रहेगा प्रयास
इस कार्य के लिए मीरा अपनी मेहनत की कमाई का एक हिस्सा खर्च करने में संकोच नहीं करती हैं। बहुत पूछने पर वो कहती हैं कि मन के सुकून और मानवता के प्रति अपना फर्ज निभाने में उन्हें आत्मीय खुशी होती है।वे अपनी अंतिम सांस तक सेवा का संकल्प निभाने की कोशिश करती रहेंगी।